स्थापना का मूल विचार

संग्रहालय के लिये सभी संभावित दर्शक हैं और समान रूप से महत्त्व के हैं, क्योंकि संग्रहालय की सार्थकता उन्हीं से बड़ी से बड़ी संख्या में जुडऩे और संवाद कायम करने से ही है। जनजातीय संग्रहालय की राह एक अर्थ में दुधारी तलवार के मानिन्द हैं, क्योंकि एक ओर उसका मूल उद्देश्य आदिवासी जीवन दृष्टि को सांगोपांग समझना तथा प्रस्तुत करना है, तो दूसरी ओर उसे नागर समाज तक प्रेषित करना है, जिसने अपने लिये विकास अथवा जीवन को जीने की एक नितान्त भिन्न शैली को न केवल अपना लिया है, बल्कि उसे विकल्पहीन मान लिया है। इस संग्रहालय ने ऐसी ही जमीन तलाशी और तैयार की है, जहाँ समाज की यह दोनों विपरीत जान पड़ती धाराएँ परस्पर एक दूसरे की ओर उन्मुख होती हैं।


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चिन्हारी,वस्तु-विक्रय केंद्र

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संग्रहालय में दीर्घाएँ

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश के आदिवासी जनों ने दीर्घाओं को आकार दिया। उनके द्वारा तैयार किये गये रूपाकारों में आदिवासी जीवनदृष्टि और कलाबोध से जुड़ी कई विलक्षण बातें नए सिरे से उद्घाटित हुई हैं।

सांस्कृतिक वैविध्य

मध्यप्रदेश की विशिष्टता को स्थापित करने तथा उसकी बहुरंगी, बहुआयामी संस्कृति को बेहतर रूप से समझने और दर्शाने का कार्य दीर्घा क्रमांक-एक...

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जीवन शैली

दीर्घा-एक से दो में प्रवेश करने के लिए जिस गलियारे से गुजर कर जाना होता है, वहाँ एक विशालकाय अनाज रखने की कोठी बनाई गई है।...

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कलाबोध

कलाबोध दीर्घा में हमने जीवन चक्र से जुड़े संस्कारों तथा ऋतु चक्र से जुड़े गीत-पर्वों-मिथकों, अनुष्ठानों को समेटने का उद्देश्य रखा है।...

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देवलोक

संकेतों, प्रतीकों की जिस आशुलिपि में इस आदिवासी समुदाय ने अपने देवलोक के वितान को लिखा है, उसकी व्यापकता दिक्-काल की अनंत-असीम की ...

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छत्तीसगढ़ दीर्घा

अतिथि राज्य की आदिवासी संस्कृति को दर्शाती दीर्घा में सबसे पहले छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के जीवन को प्रस्तुत किया जा रहा है।...

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रक्कु दीर्घा

जीवन की भोर बेला यानी बचपन और उसके खेलों पर आधारित प्रदर्शनी इस दीर्घा में लगायी गई है। आदिवासी समुदायों में भौतिक वस्तुएँ नहीं के बराबर हैं...

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संग्रहालय की जानकारी

वे संस्थान मसलन-संग्रहालय जिनका मूल उद्देश्य बड़ी से बड़ी संख्या में समाज (दर्शकों) से खुद को जोडऩा तथा उससे संवाद कायम करना है, उनके लिए यह प्राथमिक रूप से आवश्यक है कि वे निम्न प्रश्नों को कभी अपनी नज़र से ओझल न होने देते हों -

सामान्य अनुदेश

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय प्रतिदिन (मंगलवार से रविवार) दोपहर 12.00 बजे से शाम 08.00 बजे तक खुला रहेगा। सोमवार संग्रहालय का अवकाश रहेगा।

फ़रवरी से अक्टूबर तक - दोपहर 12 बजे से सांय 08 बजे तक

नवम्बर से जनवरी तक - दोपहर 12 बजे से सांय 07 बजे तक

अवकाश - प्रत्येक सोमवार और राष्ट्रीय अवकाशों पर

भारतीय नागरिक - रु.20/- प्रति व्यक्ति (10 वर्ष या अधिक )

विदेशी नागरिक - रु.400/- प्रति व्यक्ति (10 वर्ष या अधिक )

फ़ोटोग्राफी शुल्क - रु.100/- (Camera without stand/tripod/flash)

संग्रहालय में थैला, हैंडबैग, खाने-पीने की वस्तुएँ ले जाना एवं धूम्रपान वर्जित है|

स्वागत कक्ष में अमानती सामग्रियाँ जमा करा कर टोकन प्राप्त करें|

संग्रहालय की दीर्घाओं एवं ऑडिटोरियम में मोबाइल फ़ोन का उपयोग एवं फोटो खींचना वर्जित है|

कैमरा/मोबाइल फ़ोन द्वारा फोटो खींचना प्रतिबंधित

वीडियोग्राफी निषिद्ध है| केवल विशेष परिस्तिथियों में लिखित एवं सशर्त अनुमति से ही संभव है |

कृपया स्वच्छता एवं शांति बनाए रखें|

10 वर्ष से काम आयु के बच्चे, निःशक्तजनों, सैनिक (गणवेश में), पूर्व सैनिक (परिचय पत्र के आधार पर) का प्रवेश निःशुल्क हैं |

व्हील-चेयर स्वागत कक्ष में उपलब्ध है|

बिका हुआ टिकट वापस नहीं होगा |

कलाकृतियों को क्षति पहुँचाने पर न्यूनतम दण्ड रुपये 2500/- और अधिकतम अनुशासन समिति के निर्णय अनुसार होगा|

संग्रहालय समस्त राष्ट्रीय अवकाशों और सोमवार को दर्शकों हेतु बंद रहेगा

स्थापना का मूल विचार

वे संस्थान मसलन-संग्रहालय जिनका मूल उद्देश्य बड़ी से बड़ी संख्या में समाज (दर्शकों) से खुद को जोडऩा तथा उससे संवाद कायम करना है, उनके लिए यह प्राथमिक रूप से आवश्यक है कि वे निम्न प्रश्नों को कभी अपनी नज़र से ओझल न होने देते हों -

  • 1. यह संग्रहालय किसके लिये है? अर्थात् उसका संभावित दर्शक कौन है?
  • 2. उस दर्शक का वर्तमान मानस क्या है? उसकी चिन्ताएँ क्या हैं? उसकी अभिरूचियाँ, आकांक्षाएँ अथवा स्वप्र क्या हैं? ....आदि।
  • 3. संग्रहालय का अन्य तमाम सांस्कृतिक संस्थानों से इतर अपनी स्थापना के पीछे मूल उद्देश्य क्या है? उसकी सार्थकता और उसका वैशिष्ट्य क्या होगा?
  • 4. वह किन अर्थों में विभिन्न समुदायों के बीच सार्थक संवाद का एक नया सेतु निर्मित कर सकता है?
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हमारे प्रकाशन

जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा प्रकाशन

संस्कार गीतों में बेटियाँ (ऑडियो CD)

बघेली

श्रुति श्रृंखला के अन्तर्गत

निमाड़ी

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बुन्देली

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मालवी

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संग्रहालय का पता

मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल - 462002
मध्य प्रदेश, भारत

सम्पर्क

Telephone : +91 755 2661948, 2661640
Email : mptribalmuseum13@gmail.com, info@mptribalmuseum.com